PM मोदी ने नामीबिया से आए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा,बोले कुछ दिन बाद लोग करेंगे दीदार

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली-श्योपुर , 17 सितम्बर (ए)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आजाद कर दिया। इन्हें आज सुबह भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों से ग्वालियर एयर फ़ोर्स स्टेशन से कुनो नेशनल पार्क ले जाया गया था। इस मौके पर एक संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि पर्यटकों और उत्साही लोगों को जंगल में चीतों को देखने के लिए अभी कुछ महीने इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि जानवरों को अपने नए घर में ढलने के लिए कुछ समय चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस के दावों पर भी पलटवार किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ”ये चीते अनजान इस इलाके में मेहमान बनकर आए हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा।”
उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में देश से चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों तक उनके पुनर्वास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो देश ने एक नई ऊर्जा के साथ चीतों का पुनर्वास करना शुरू कर दिया है।” उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में हमारा प्रयास है। विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों की रिहाई के लिए चुना गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने 72वें जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में औपचारिक तौर पर छोड़ा। पीएम मोदी ने तीन चीतों को औपचारिक तौर पर विमुक्त कर देश में चीतों को फिर से बसाने की योजना की शुरुआत की। करीब 70 सालों के बाद एक बार फिर भारत में चीतों की वापसी हुई है। हम आपको बता रहे हैं कि चीतों की खासियत क्या हैं:

  • चीता जमीन पर दौड़ने वाला दुनिया का सबसे तेज जानवर है। इसकी रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। 
  • चीता जब पूरी ताकत से दौड़ रहा होता है तो वह सात मीटर यानी करीब 23 फीट तक लंबी छलांग भी लगा सकता है। चीता हर सेकेंड में चार छलांग लगा सकता है। 
  • चीता शेर और बाघ की तरह दहाड़ नहीं सकता। चीते बिल्लियों की तरह गुर्राते और फुफकारते हैं।
  • चीते के पीछे के पैर आगे के पैरों की तुलना में बड़े और मजबूत होते हैं। इन्हीं की मदद से वे स्पीड से दौड़ सकते हैं।
  • चीते के पंजे सिकुड़ते नहीं हैं, इसी के चलते वे दौड़ते वक्त तेजी से घूम जाते हैं। 
  • इंसानों की तरह ही चीतों को रात में देखने में मुश्किल होती है। इसीलिए वे दिन में ही अपना शिकार करते हैं।
  • चीते की खाल हल्के पीले और ऑफ व्हाइट रंग की होती है। इनकी खाल पर गोल या अंडाकार काले धब्बे भी होते हैं। 
  • चीते का सिर शेर, तेंदुए और बाघ की तुलना में काफी छोटा होता है, और इसका वजन भी काफी कम होता है। यही वजह है कि वह जब तेज रफ्तार से तौड़ता है तो सिर से टकराने वाली हवा का प्रतिरोध काफी कम हो जाता है। 
  • चीते के कान भी काफी छोटे होते हैं, जिससे दौड़ने के दौरान हवा का रेजिस्टेंस कम होता है।
  • चीते की आंख में इमेज स्टेबिलाइजेशन सिस्टम होता है, इसकी वजह से वह तेज रफ्तार में दौड़ते वक्त भी अपने शिकार पर पूरा फोकस बनाए रखता है। चीते की आंखें सीधी दिशा में होती हैं, जिनकी मदद से वह कई मील दूर तक आसानी से देख सकता है।