उप्र: ललितपुर में पीड़ित किसान परिवारों से प्रियंका ने की मुलाकात

उत्तर प्रदेश ललितपुर
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ललितपुर/लखनऊ (उप्र), 29 अक्टूबर (ए) कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने ललितपुर में खाद की कथित कालाबाजारी और कर्ज के बोझ के चलते जान गंवाने वाले चार किसानों के परिजनों से शुक्रवार सुबह मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी तथा हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।

प्रियंका ने बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “मैं चार किसानों के परिवारों से मिली, जिनमें से दो ने आत्महत्या कर ली और दो अन्य ने खाद के लिए कुछ दिनों तक कतार में खड़े रहने के दौरान अपनी जान गंवा दी। वे कई दिनों तक बिना भोजन के लगातार खड़े रहे और मर गए।’

उन्होंने कहा, ‘सरकार के पास खाद वितरण की व्यवस्था है और यह स्पष्ट है कि कालाबाजारी करने वालों, अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत के कारण यह विफल रही है।’

उन्होंने मामले की जांच की मांग करते हुए कहा, “यहां प्रशासन ने जो कुछ भी किया वह गलत है, अगर अधिकारियों, कालाबाजारी करने वालों और नेताओं की मिलीभगत है तो इसकी जांच होनी चाहिए कि खाद कैसे नहीं पहुंच रही है।”

किसानों की समस्याओं पर चर्चा करते हुए प्रियंका ने कहा कि जिन किसानों से वह मिलीं, उन्होंने उन्हें बताया, “ 2000 रुपये में एक बोरी खाद मिलती है।’’ उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से कालाबाजारी का मामला है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा खाद के दाम भी बढ़े हैं जबकि बोरियों में उपलब्ध मात्रा में कमी आई है।’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘ इन चारों परिवारों की ही यह समस्या नहीं है बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में यह दिक्कत हो रही है।’

उन्होंने कहा, “एक लड़की रो रही थी क्योंकि उसे अपने पिता का चेहरा तक देखने को नहीं मिला।’’ उन्होंने कहा कि इससे जाहिर होता है कि सरकार की क्रूरता चरम पर है।

प्रियंका ने लखीमपुर खीरी हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि खुद देखिए, एक मंत्री के बेटे ने किसानों को (वाहन से) कुचला, लेकिन मंत्री के साथ कुछ नहीं किया गया और वह अपने पद पर बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि ध्‍यान रहे कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को खीरी में आंदोलन कर रहे चार किसानों को ‘स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल’ (एसयूवी) से कुचले जाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।

प्रियंका ने कहा, “लखीमपुर से बुंदेलखंड तक देखिये कि किसानों की क्या स्थिति है, वे कैसे संघर्ष कर रहे हैं और जी रहे हैं।’’

उन्होंने आगामी चुनाव से संबंधित सवालों को खारिज करते हुए कहा, “मैं यहां चुनाव के बारे में बात करने नहीं आई हूं।”

कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने बताया कि बुंदेलखंड के किसान भोगी पाल (55) और महेश कुमार बंकर (36) खाद के लिए कतार में लगे थे और उन्हें खाद नहीं मिली। उन्होंने बताया कि कतार में लंबे समय तक खड़े रहने के कारण इन दोनों की तबीयत बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई। वहीं, मैलवाड़ा खुर्द के किसान सोनी अहिरवार (40) और पाली गांव के बबलू पाल (40) खाद नहीं मिल पाने के चलते परेशान थे और उन्होंने आत्महत्या कर ली।

प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ सभी किसानों ने खेती के लिए कर्ज लिया था और सरकार की नीतियों के चलते वे कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे। खाद नहीं मिल पाना, मुआवजा नहीं मिलना और फसल की बर्बादी से किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।’’

उन्‍होंने कहा कि प्रियंका ने सभी पीड़ित किसान परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा साझा की और उन परिवारों का कर्ज चुकाने का वादा किया।

शुक्रवार सुबह प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘‘ललितपुर में पीड़ित किसान परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा साझा की।’’ वह बृहस्पतिवार रात लखनऊ से ट्रेन से ललितपुर के लिए रवाना हुई थी। इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘किसान मेहनत कर फसल तैयार करे तो फसल का दाम नहीं। किसान फसल उगाने की तैयारी करे तो खाद नहीं। खाद नहीं मिलने के चलते बुंदेलखंड के दो किसानों की मौत हो चुकी है। लेकिन, किसान विरोधी भाजपा सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। इनकी नीयत और नीति दोनों में किसान विरोधी रवैया है।’’

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते ललितपुर के किसानों ने खाद की कमी को लेकर आंदोलन भी किया था।

ललितपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निखिल पाठक ने बताया था कि जाखलौन थाना क्षेत्र के नया गांव के किसान भोगीलाल पाल (55) की 22 अक्‍टूबर को सुबह करीब साढ़े नौ बजे जगपुरा स्थित खाद की दुकान पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी। वह खाद खरीदने के लिए दो दिन से कतार में खड़े थे।

वहीं, मृतक किसान के बेटे कृपाल ने बताया था कि उसके पिता (भोगीलाल) दो दिन से जगपुरा स्थित खाद की दुकान पर खाद खरीदने के लिए कतार में लगे थे, रात को वह दुकान के बाहर ही सो गए थे और सुबह फिर से कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, तभी अचानक जमीन पर गिर गए।

कृपाल ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।