रजनी तिलक का जीवन सदैव नारी उत्थान के लिये समर्पित रहा

उत्तर प्रदेश प्रयागराज
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प्रयागराज 27मई (वि)। सभी जीवों के साथ समभाव हो, सभी मनुष्य शांति से जिये, शौहार्द से रहे, मानव भाव समान होने के कारण कोई किसी को पीड़ा न दे आदि अनेक हितकारी विचारो का भण्डार रखने वाली प्रख्यात दलित महिला साहित्यकार ‘रजनी’ यानि रात, ‘तिलक’ यानि बिन्दी अर्थात जीवन को प्रकाशमय बनाने वाली, डा. भीमराव अम्बेडकर को ही प्रज्ञा सूर्य के रूप में स्वीकार करके अपने तथा अपनो के जीवन में फैले पाखण्ड, अंधविश्वास, मूढ़ता और अंधकार को सदा के लिये दूर करने वाली त्याग की प्रतिमूर्ति, अदम्य साहस और एक हिम्मत वाली नारी रजनी तिलक (जन्म 27 मई 1958) का 63वां जन्म दिवस समारोह डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) और प्रबुद्ध फाउंडेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में आन लाईन दावा अध्यक्ष उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामबृज गौतम की अध्यक्षता में मनायी गयी.

     दावा अध्यक्ष ने बताया कि रजनी दीदी अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते समय अपने रिश्ते नाते को भी बगल में रखकर  शेरनी की तरह कदम बढ़ाने वाली महान महिला थी जो सारे भारत की महिलाओं को ममता में पिरोने वाली बहुप्रतिभाशाली नारी रही है. वो मन मे हिम्मत भरने के लिये ईमानदार, वफ़ादार, समझदार नारियों का काफिला तैयार करके देश को सौंपा है.

    गाजीपुर से अरविन्द भूषण और गौतम राव अकेला ने ऑनलाइन रजनी तिलक की एक कविता सुनाते हुये बताया कि जीरो हूँ...स्त्री हूँ। हर बार प्लस होती हूँ। बनाती हूँ प्यार का दरिया, आशाओं का क्षितिज। समा लेती हूँ सारी कुंठाये, सारी निराशाएं। जीरो हूँ, जीरो से शुरू होकर चलते हुए कदमो का सपना देखती हूँ। जीरो हूँ स्त्री हूँ , पर कर सकती हूँ वह सब जो असम्भव है। मर सकती हूँ , उनके लिये/ जो लक्ष्य के लिये मरते है। उठा सकती हूँ उन्हें जो नेक दिल रखते है। अकेला ने आगे सुनाया कि रजनी तिलक अपनी कविता के माध्यम से नारी का परिचय कराते हुये यही सीख देती है कि - तू नारी है, सही है। परन्तु यह समाज तुझसे निर्मित हुआ है। यह मानव कुल तेरे कारण है, तुझमें असम्भव से सम्भव करने की ताकत है। तू सक्षम है। क्यों डरी, सहमी होकर जीवन जी रही हो। दे अपना परिचय, दुनिया तुझे जीरो समझती है। जीरो के विना समाज एवं पुरुष की कोई कीमत नही है। मैं हूँ तो समाज है। यह तेरी विशेषता का परिचय सारे जहां को करा दे। कब तक दबी-दबी रहेगी। सहनशील बनकर करा दे तेरी शक्ति का परिचय, ताकि समाज अपनी भूल को समझ सके। इस तरह रजनी नारी उत्थान में सदैव लगी रही।

   बस्ती से अक्षय कुमार और बरेली से यशवंत सिंह ने बताया कि रजनी तिलक की कविता संग्रह "पदचाप" , 'हवा सी बेचैन युवतियां' की कविताओं में उनकी भावना, आशा, आकांक्षा को देखा जा सकता है। उनकी कहानी संग्रह "बेस्ट आफ करवा चौथ" की कहानी गुड्डी लाजो द्वारा उनके अपने जीवन की ही झलक है। रजनी तिलक की आत्म कथा "अपनी जमी अपना आसमा" में उन्होंने अपने बचपन से युवावस्था तक कि घटनाओं को क्रमबद्ध रूप से लिखा है। 'मुक्तिकामी दलित नायिकायें' उनकी छोटी एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। समकालीन दलित महिला लेखन के तीन अंक विशेषांक के रूप में उनके सम्पादन में छपे है।

   आनलाइन जयन्ती समारोह में गाजियाबाद से रिटा. डिप्टी एसपी आरपी सिंह, प्रयागराज से अभिषेक गौतम, अम्बेडकर नगर से अभिषेक अम्बेडकर, रिटा. डिप्टी एसपी बहादुर राम, बीआर दोहरे, एड कुमार सिद्धार्थ, हीरालाल बौद्ध, जीडी गौतम, कुशीनगर से अंकेश गौतम, गोरखपुर से विक्रम गौतम आदि ने अपने विचार रखे।