धनशोधन मामलों में बिना सुनवाई के आरोपियों को हिरासत में रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की आलोचना की

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 20 मार्च (ए) आरोपी के स्वत: जमानत पाने के अधिकार को खत्म करने के लिए धन शोधन मामलों में पूरक आरोपपत्र दाखिल करने के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रयासों की निंदा करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि किसी आरोपी को बिना मुकदमे के हिरासत में रखना कैद के समान है जो स्वतंत्रता में बाधक है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने झारखंड में कथित अवैध खनन से उत्पन्न धन शोधन मामले में ईडी द्वारा चार पूरक आरोपपत्र दाखिल करने पर आपत्ति जताई। इनमें से नवीनतम पूरक आरोपपत्र एक मार्च 2024 को दाखिल किया गया।शीर्ष अदालत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश की स्वत: (डिफॉल्ट) जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। प्रकाश को अगस्त, 2022 में छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था। एजेंसी द्वारा दावा किया गया था कि रांची में उनके घर पर दो एके-47 राइफलें, 60 कारतूस और दो मैगजीन मिली थीं। उन पर धनशोधन व शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।

पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि चार पूरक आरोपपत्र दाखिल होने के बावजूद मामले में जांच अभी जारी है।

पीठ ने राजू से कहा, “हम आपको (ईडी को) नोटिस दे रहे हैं। (कानून के तहत) मामले की जांच पूरी हुए बिना आप किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकते। मुकदमा शुरू हुए बिना किसी व्यक्ति को हिरासत में नहीं रखा जा सकता। यह कैद के समान है और एक व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। कुछ मामलों में हमें इस मुद्दे को सुलझाना होगा।”

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि किसी आरोपी को पूरक आरोपपत्र दायर करके स्वत: जमानत के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता 18 महीने से सलाखों के पीछे है और एक के बाद एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जा रहे हैं, जिससे अंततः मुकदमे में देरी हो रही है।

पीठ ने राजू से कई सवाल पूछे जिन्होंने सवालों का जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा और कहा कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और अगर उसे जमानत पर रिहा किया गया तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।

शीर्ष अदालत ने राजू को एक महीने के भीतर पीठ द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल के लिए तय की।