विशेषाधिकार हनन पर पुलिसकर्मियों को सजा सुनाये जाने से पहले ही सपा का सदन से बहिर्गमन

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ, तीन मार्च (ए) उत्तर प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को विशेषाधिकार हनन में आरोपी छह पुलिसकर्मियों को सजा सुनाये जाने से पहले ही राज्‍य की मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) ने सदन से बहिर्गमन किया।.

शुक्रवार को सदन में प्रश्नकाल के बाद सपा के वरिष्ठ सदस्य माता प्रसाद पांडेय ने एक मामला उठाने का प्रयास किया लेकिन विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्‍हें यह अनुरोध करते हुए बोलने से मना कर दिया कि अब विशेषाधिकार हनन मामले में बहुत महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है।.

महाना ने कार्रवाई शुरू करनी चाही तो नेता विरोधी दल और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने देश की आजादी की लड़ाई और संविधान का हवाला देते हुए कहा कि नेता सदन (योगी आदित्यनाथ) ने हिन्दी में समाजवाद को समझाने की जो कोशिश की, वह किसकी ‘स्‍पीच’ थी, वह कहां से समाजवाद की परिभाषा सीखकर आए। उन्होंने इसे संविधान की अवमानना बताया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में समाजवाद को नेताओं को अपने लोगों को शक्तिशाली बनाने का सबसे बड़ा पाखण्ड करार देते हुए कहा था कि यह देश समाजवाद से नहीं बल्कि राम राज्य से ही चलेगा। योगी ने समाजवाद को एक बहुरूपिया ब्रांड भी कहा।

यादव ने इस पर सरकार से जवाब मांगा तो अध्यक्ष ने कहा कि यह तो जब नेता सदन बोल रहे थे, तभी आपको पूछना चाहिए था, तब आपने क्यों नहीं पूछा। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने कहा कि आज नेता सदन यहां मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के प्रति वह पूरा आदर रखते हैं।

सरकार के बयान से असंतुष्ट होकर नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने सदन से बहिर्गमन की घोषणा की और इसके बाद सपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गये।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने करीब दो दशक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के नोटिस के मामले में छह पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। इस बीच जब तक विशेषाधिकार मामले की कार्यवाही चली, तब तक सपा और रालोद के सदस्य सदन में नहीं लौटे।

हालांकि अध्यक्ष ने विशेषाधिकार मामले पर बोलने के लिए नेता विरोधी दल और नेता रालोद तथा दोनों दलों के सदस्यों को भी आवाज दी, लेकिन कोई सदन में नहीं आया। जैसे ही आरोपी पुलिसकर्मियों को सजा सुनाये जाने की कार्यवाही पूरी हुई, नेता विरोधी दल और सपा व रालोद सदस्य सदन में लौट आये।

विधानसभा में सजा पाने वालों में तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर (कानपुर नगर) के तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उप निरीक्षक (कोतवाली) त्रिलोकी सिंह, सिपाही छोटे सिंह यादव (किदवई नगर) और काकादेव थाने में तैनात तत्कालीन सिपाही विनोद मिश्रा व मेहरबान सिंह यादव शामिल हैं। पुलिस क्षेत्राधिकारी समद को छोड़कर सभी पुलिसकर्मी अभी सेवा में हैं।

तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई 15 सितंबर 2004 को कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ जिलाधिकारी (कानपुर नगर) को एक ज्ञापन सौंपने के लिए जा रहे एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, जब पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता की थी। उस समय उप्र में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सपा गठबंधन की सरकार थी।