नयी दिल्ली: 13 अक्टूबर (ए)) दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़ितों की संख्या के कारण अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ गई है।
सरस्वती उस मामले में न्यायिक हिरासत में है जिसमें उस पर 17 छात्राओं से छेड़छाड़ का आरोप है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीप्ति देवेश ने कार्यवाही के दौरान कहा कि वर्तमान चरण में जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। उन्होंने याचिका पर सुनवाई 27 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
बचाव पक्ष के वकील ने जोर दिया कि सरस्वती को इस मामले में फंसाया गया है। इस पर न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि पीड़ितों की संख्या के कारण अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ जाती है। इससे पहले, आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया और पीड़ित लड़कियों को धमकी देकर झूठा मामला दर्ज कराया गया। न्यायाधीश ने कहा कि आप कह रहे हैं कि उसे (आरोपी को) फंसाया गया है। पीड़ित तो 16 हैं। एक, दो या शायद तीन को भी उकसाना संभव है, लेकिन सभी 16 को कैसे राजी किया जा सकता है।
सरस्वती के वकील ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 232 (किसी व्यक्ति को झूठा साक्ष्य देने के लिए धमकाना) को छोड़कर सभी कथित अपराध जमानती हैं और इस अपराध, जिसे बाद में जांच के दौरान जोड़ा गया, में अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है। यहां एक निजी प्रबंधन संस्थान के पूर्व अध्यक्ष सरस्वती को कथित अपराधों से जोड़ने वाला कोई तथ्य नहीं है और बीएनएस धारा 232 का मामला नहीं बनता। वकील ने कहा कि आरोप हैं कि उन्होंने होली पर अपने शिष्यों पर रंग डाला और उनसे हाथ मिलाया।
कृपया आरोपों पर गौर करें। कोई यौन अपराध नहीं है। न्यायाधीश ने जवाब दिया कि सभी 16 पीड़ितों के बयान। क्या वे ठोस सबूत नहीं हैं? कार्यवाही के दौरान, निजी प्रबंधन संस्थान के वकील ने अदालत को बताया कि सरस्वती के दुष्कर्म के बारे में भारतीय वायु सेना की एक महिला ग्रुप कैप्टन से ईमेल मिलने के बाद वर्तमान मामला सामने आया। जांच अधिकारी (आईओ) ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ताओं के व्हाट्सएप चैट उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि उनके मोबाइल फोन में “संदेश हटा देने” की सुविधा थी, और संवाद के केवल स्क्रीनशॉट हैं। जांच अधिकारी ने कहा, “तीन महिलाएं भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने छात्राओं पर संवाद को डिलीट करने का दबाव बनाया।
अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या तीनों महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है, जांच अधिकारी ने कहा कि उन्हें केवल “निरूद्ध” किया गया है। इसके बाद अदालत ने सरस्वती के वकील के अनुरोध पर ज़मानत याचिका पर सुनवाई 27 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। दिल्ली पुलिस की एक टीम ने पिछले महीने सरस्वती को आगरा से गिरफ्तार किया था, जहां वह एक होटल में ठहरा हुआ था। प्राथमिकी के अनुसार, सरस्वती कथित तौर पर छात्राओं को देर रात अपने क्वार्टर में आने के लिए मजबूर करता था और उन्हें बेवक्त अनुचित संदेश भेजता था। वह कथित तौर पर अपने फोन के जरिए छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखता था।