उच्चतम न्यायालय ने पुलिस रिपोर्ट में उल्लिखित विवरण पर निर्देश दिए

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 12 मार्च (ए) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जांच अधिकारी अक्सर आरोप-पत्र या पुलिस रिपोर्ट जमा करते समय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173(2) की आवश्यकताओं का पालन नहीं करते हैं। न्यायालय ने इसके साथ ही अंतिम रूप में उल्लेखित किये जाने वाले विवरण के बारे में दिशानिर्देश जारी किये।

सीआरपीसी की धारा 173 जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट से संबंधित है और 173(2) में कहा गया है कि जैसे ही जांच पूरी होती है, पुलिस थाने का प्रभारी अधिकारी एक मजिस्ट्रेट को यह रिपोर्ट भेजेगा जिसके पास पुलिस रिपोर्ट पर अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार होता है।न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 173(2) के तहत प्रस्तुत पुलिस रिपोर्ट अभियोजन, बचाव और अदालत के दृष्टिकोण से एक ‘बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज’ होती है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम धारा 173(2) को लेकर अधिक चिंतित हैं, क्योंकि हमने पाया है कि जांच अधिकारी आरोप पत्र/पुलिस रिपोर्ट जमा करते समय उक्त प्रावधान की आवश्यकताओं का पालन नहीं करते हैं।’

शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रावधानों की आवश्यकताओं का सख्ती से अनुपालन करना जांच अधिकारी का कर्तव्य है, क्योंकि अनुपालन न करने से अदालत में कई कानूनी मुद्दे पैदा हो जाते हैं।

पीठ ने कहा, ‘धारा 173 में निहित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यह निर्देशित किया जाता है कि जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट में निम्नलिखित शामिल होंगे: राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रपत्र में एक रिपोर्ट जिसमें पक्षकारों के नाम; सूचना की प्रकृति; उन व्यक्तियों के नाम जो मामले की परिस्थितियों से परिचित प्रतीत होते हैं कि क्या कोई अपराध किया गया है और यदि हां, तो किसके द्वारा…।’’

इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट में यह विवरण भी शामिल होगा कि क्या आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, क्या उसे उसके बॉण्ड पर रिहा किया गया है और यदि हां, तो क्या मुचलके के साथ या उसके बिना।

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में बताया जाएगा कि क्या महिला की मेडिकल जांच की रिपोर्ट संलग्न की गई है, जहां जांच यौन उत्पीड़न अपराधों से संबंधित है।

पीठ ने निर्देश दिया कि प्रत्येक राज्य में पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी इन निर्देशों का सख्ती से पालन करेंगे और ऐसा न करने पर उन संबंधित अदालतों द्वारा सख्ती इससे सख्ती से निपटा जाएगा, जहां पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।