नयी दिल्ली: 19 अगस्त (ए)) उपराष्ट्रपति पद के लिए नौ सितंबर को होने वाले चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन से होगा।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ इस चुनाव को वैचारिक लड़ाई बता रहा है क्योंकि संख्याबल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन के पक्ष में है।
उपराष्ट्रपति चुनाव ‘दक्षिण बनाम दक्षिण’ के मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि विपक्ष ने तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले रेड्डी को राधाकृष्णन के खिलाफ मैदान में उतारा है जिन्हें उनके शुभचिंतक ‘पचाई तमिल’ (सच्चा तमिल) कहते हैं।
महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन (67) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सदस्य के रूप में कार्य किया और बाद में तमिलनाडु में पार्टी का नेतृत्व किया।
जुलाई, 2011 में उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए 79 वर्षीय रेड्डी एक वरिष्ठ न्यायविद हैं, जिन्हें काले धन के मामलों की जांच में ढिलाई बरतने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार की आलोचना वाले कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाता है।
उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्थापित सलवा जुडूम को भी असंवैधानिक घोषित किया था।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति रेड्डी ने विदेशों में अवैध रूप से रखे गए अघोषित धन को वापस लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने हेतु एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया था।
विदेशी बैंकों में जमा काला धन को वापस लाना 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था।
राजग राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए समृद्ध राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव वाले एक बेदाग नेता के रूप में पेश कर रहा है और कह रहा है कि उनका चुना जाना राज्यसभा के सभापति के रूप में भी उपयोगी साबित होगा।
राधाकृष्णन 2016 से 2020 तक अखिल भारतीय नारियल रेशा बोर्ड के अध्यक्ष रहे और इस दौरान नारियल रेशे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली।
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने राधाकृष्णन को एक ऐसे ‘राजनेता’ के रूप में वर्णित किया जिनका सभी दलों में सम्मान है। वह तमिलनाडु में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय की प्रभावशाली गौंडर जाति से ताल्लुक रखते हैं।
कांग्रेस नीत ‘इंडिया’ खेमा रेड्डी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के लिए निरंतर काम करने वाले एक साहसी पुरोधा के रूप में पेश कर रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उपराष्ट्रपति चुनाव को एक वैचारिक लड़ाई करार दिया।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश रेड्डी का एक लंबा और प्रतिष्ठित कानूनी करियर रहा है, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है।
खरगे ने कहा, ‘‘वह गरीबों के पक्षधर हैं और अपने कई फैसलों में… उन्होंने गरीबों का पक्ष लिया और संविधान तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा भी की।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने राकांपा (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार, माकपा के एम ए बेबी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ ब्रायन, द्रमुक के तिरुचि शिवा और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव सहित विभिन्न विपक्षी नेताओं के साथ यह बात कही।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रेड्डी के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘वह उन मूल्यों को पूरी तरह से दर्शाते हैं, जिन्होंने हमारे देश के स्वतंत्रता आंदोलन को इतनी गहराई से बचाया और जिन मूल्यों पर हमारे देश का संविधान और लोकतंत्र टिका हुआ है।’’