राशन कार्ड में जब ‘दत्ता’ की जगह लिखा ‘कुत्ता,’ मिला तो शख्स हुआ नाराज,अधिकारी के सामने लगा भौंकने,फिर जो हुआ–

राष्ट्रीय
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कोलकाता,19 नवम्बर (ए)। पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में, एक 40 वर्षीय व्यक्ति एक बैग और हाथों में कागज के टुकडे़ लिए एक सरकारी अधिकारी की कार के गेट के पास कुत्ते की तरह भौंकता दिखा। ‘दुआरे सरकार’ में ये सीन देखकर लोग हैरान हैं। अधिकारी खुद हैरान है और भागने की कोशिश करता है। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के बांकुड़ा-2 प्रखंड के बीकना ग्राम पंचायत के केशियाकोले गांव के श्रीकांत दत्ता कुत्ते की तरह भौंक कर अपना विरोध जता रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रीकांत दत्ता को राज्य खाद्य आपूर्ति विभाग से आरकेएसवाई राशन कार्ड प्राप्त हुआ था, लेकिन उनका उपनाम दत्ता की जगह ‘कुत्ता’ हो गया है। इस घटना में उन्हें बहुत शर्मिंदगी और अपमान महसूस हो रहा है. उन्होंने ऐसा विरोध का तरीका अपनाया है.
राशन कार्ड में ‘दत्ता’ की जगह ‘कुत्ता’ लिखा। बुधवार को संयुक्त बीडीओ जब बीकाना ग्राम पंचायत के ‘दुआरे सरकार’ कैंप का दौरा करने पहुंचे. उन्होंने कुत्ते की तरह भौंक कर विरोध जताया. आगे की सीट पर बैठे अफसर ने खिड़की की तरफ मुंह कर लिया, लेकिन वह कुत्ते की तरह भौंकता रहा. एक नजर में ऐसा लगता है कि वह बोल नहीं सकता. मामला समझ में आने के बाद अधिकारी बेचैन हो गए।
घटना के बारे में बताते हुए श्रीकांत दत्ता ने कहा, “मैंने राशन कार्ड के लिए आवेदन किया था, पहले चरण में जब मुझे राशन कार्ड मिला, तो मैंने देखा कि श्रीकांत दत्ता श्रीकांत मंडल बन गए हैं. सुधार के लिए अर्जी देने पर मैं श्रीकांत कुमार दत्त बन गया. मैं फिर सरकार के पास गया और सुधार के लिए आवेदन किया।
फिर इंसान नहीं, मैं कुत्ता बन गया! राशन कार्ड में श्रीकांति कुमार कुत्ता श्रीकांत दत्ता की जगह ले लिया. इस घटना के बाद मैं मानसिक रूप से टूट गया था.” श्रीकांत दत्ता ने दावा किया कि दुआरे में सरकारी शिविर में जाने के बाद वह संयुक्त बीडीओ के पास गये और उनसे पूछा कि दत्ता कुत्ता कैसे बन गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
इस घटना से श्रीकांत दत्ता की मां हीरा दत्ता काफी नाराज हैं. उन्होंने कहा कि पद के स्थान पर कुत्ता लिखकर उन्हें ‘सामाजिक अपमान’ का सामना करना पड़ा है, उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण कार्यों में ‘संविदात्मक और अशिक्षित’ कर्मियों की नियुक्ति के कारण यह घटना हो रही है।
इसका खामियाजा उनके जैसे आम लोगों को भुगतना पड़ता है. मैंने अपने बेटे का नाम रखा है. उन्होंने कहा कि बेटा दुकान चलाकर परिवार चलाता है. इस घटना से सौ गुना सम्मान की हानि हुई है।