नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में महिला को 10 साल के कठोर कारावास की सजा

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 22 जनवरी (ए) दिल्ली की एक अदालत ने 2016 में चार साल की एक बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के मामले में एक महिला को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए कहा है कि इस घटना के कारण पीड़िता और उसके माता-पिता को अत्यधिक मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कुमार रजत ने मामले में दोषी ठहराई गई शशि को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर 16,000 रुपये का जुर्माना लगाया।शशि को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह (गुरुतर प्रवेशन यौन हमला) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला का शीलभंग करने के इरादे से उस पर हमला करना या आपराधिक बल प्रयोग करना) के तहत दोषी ठहराया गया।

अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा कि उसके इस कृत्य के कारण ‘‘पीड़िता और उसके माता-पिता को अत्यधिक मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी।’’

आदेश में कहा गया कि सजा की अवधि तय करने का कोई निश्चित नियम नहीं है और यह मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति, इसकी योजना कैसे बनाई गई और इसे कैसे अंजाम दिया गया, इसके मकसद, दोषी के आचरण और अन्य कई बातों पर निर्भर करता है।

अदालत ने कहा, ‘‘सजा देने का मूल उद्देश्य यह है कि अपराधी को सजा मिलनी चाहिए और अपराध के पीड़ित एवं समाज को न्याय मिलना चाहिए।’’

इसने अपराध की गंभीर प्रकृति का जिक्र करते हुए इस बात का भी उल्लेख किया कि दोषी की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कमजोर है, वह अपने परिवार की कमाने वाली एक मात्र सदस्य है और उसके पास कोई संपत्ति नहीं है।

अदालत ने कहा कि दोषी को केवल पॉक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत सजा दी जाएगी।