अजित पवार के साथ भाजपा के सरकार बनाने के प्रयास से राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ : शरद पवार

राष्ट्रीय
Spread the love

पुणे, 22 फरवरी (ए) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके भतीजे और राकांपा नेता अजित पवार के साथ सरकार बनाने की कोशिश का एक फायदा यह हुआ कि इससे 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया।.

पवार की इस टिप्पणी के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राकांपा प्रमुख को यह भी बताना चाहिए था कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया था।

पवार ने पिंपरी चिंचवड़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अगर (अजित के साथ सरकार गठन की) ये कवायद नहीं हुई होती, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी रहता।

वह फडणवीस के इस दावे के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि अजित पवार के साथ सरकार बनाने के लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार का भी समर्थन प्राप्त था।

राकांपा प्रमुख ने कहा, “सरकार बनाने का प्रयास किया गया था। उस कवायद का एक फायदा यह हुआ कि इससे महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने में मदद मिली और उसके बाद जो हुआ, वह सभी ने देखा है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस तरह के सरकार गठन के बारे में पता था और अजित पवार इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं, राकांपा प्रमुख ने हैरानी जताते हुए कहा कि क्या इस बारे में बोलने की जरूरत है?

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अभी कहा कि अगर इस तरह की कवायद नहीं होती तो क्या राष्ट्रपति शासन हटा लिया जाता? अगर राष्ट्रपति शासन नहीं हटा होता तो क्या उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते?’’

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में एक आश्चर्यजनक राजनीतिक घटनाक्रम के बाद तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर, 2019 को एक समारोह में फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी, लेकिन सरकार सिर्फ तीन दिन तक चली, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने राकांपा और कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

पवार से यह पूछे जाने पर कि क्या वह यह कहना चाह रहे हैं कि उन्हें राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में मालूम थ, राकांपा प्रमुख ने परिहास उड़ाते हुए कहा, ‘‘एक व्यक्ति ने हाल ही में कहा है कि महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ उसके लिए एक व्यक्ति (शरद पवार) जिम्मेदार है।’’

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट वाले धड़े को वास्तविक शिवसेना घोषित करने के चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पवार ने कहा कि राजनीति में मतभेद आम बात है लेकिन देश में ऐसा कभी नहीं हुआ जब पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न शक्ति का दुरुपयोग करने वालों ने छीन लिया हो।

वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘जब कांग्रेस में विभाजन हुआ, तो कांग्रेस (आई) और कांग्रेस (एस) नाम के दो संगठन सामने आये। मैं कांग्रेस (एस) का अध्यक्ष था और इंदिरा गांधी कांग्रेस (आई) की प्रमुख थीं। उस वक्त मेरे पास कांग्रेस के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार था। आज के परिदृश्य में पार्टी का नाम और उसका चिह्न दूसरों को दे दिया गया है। भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।’’

अपने अनुभव का हवाला देते हुए राकांपा प्रमुख ने कहा कि जब भी सत्ता का अत्यधिक दुरुपयोग होता है और किसी दल को दबाने की कोशिश की जाती है तो जनता उस दल के साथ खड़ी हो जाती है।

उन्होंने कहा, ‘मैंने हाल ही में कई जिलों का दौरा किया और पाया कि हालांकि नेताओं ने शिवसेना छोड़ दी है, लेकिन कट्टर शिव सैनिक (पार्टी कार्यकर्ता) अब भी उद्धव ठाकरे के साथ हैं और यह चुनाव में साबित हो जाएगा।’

पवार ने कहा, ‘‘निर्णय किसने लिया? क्या यह (चुनाव) आयोग था, या कोई है जो आयोग का मार्गदर्शन कर रहा है? इस तरह के फैसले अतीत में नहीं किए गए थे। इसके पीछे किसी बड़ी ताकत की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।’’

एनसीपी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि इस मामले में शीर्ष अदालत का फैसला क्या हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह न्यायपालिका है और हम न्यायपालिका में विश्वास करते हैं।’

पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साक्षात्कार पर पवार ने कहा कि उन्हें खुशी है कि कोश्यारी ने इस्तीफा दे दिया है। कोश्यारी के साक्षात्कार ने इन विवादों को जन्म दिया।

उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में, कई राज्यपाल आए और सभी ने राज्यपाल के पद की गरिमा बढ़ाई, लेकिन उस सूची में केवल एक अपवाद है और वह कोश्यारी हैं।’

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के ‘जीवन को खतरा’ के आरोप और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के जासूसी के दावों के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि राज्य में मौजूदा स्थिति अच्छी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘जिनके पास राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है, उन्हें स्थिति पर नजर रखनी चाहिए और गहन जांच करनी चाहिए।’’

बंबई उच्च न्यायालय में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के इस दावे के बारे में कि एल्गार परिषद मामले के आरोपियों में से एक गौतम नवलखा पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के संपर्क में था, पवार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बात नहीं कर सकते, क्योंकि मामला विचाराधीन है।

मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर पवार ने राष्ट्रपति शासन हटाने के बारे में बताया है, तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यह किसके निर्देश पर पहली बार लगाया गया था। किसने इसे लागू करने के लिए कहा, यह क्यों लागू हुआ, ऐसे सवालों के जवाब भी उन्हें देने चाहिएं।’’

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अगर वह (पवार) इन मुद्दों को स्पष्ट कर सकते हैं, तो सभी लिंक जुड़ जाएंगे और लोगों को घटनाओं की सही जानकारी मिल जाएगी। उन्हें खुद और ब्योरे का खुलासा करना चाहिए।’’