ईडी को धनशोधन मामले में हिरासत में पूछताछ करने की शक्ति नहीं: बालाजी ने न्यायालय से कहा

राष्ट्रीय
Spread the love

नयी दिल्ली, 27 जुलाई (ए) विवादों में घिरे तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी मेगाला ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एक बार फिर किसी आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्ति पर सवाल उठाया और कहा कि धनशोधन रोधी जांच एजेंसी के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं।.

गिरफ्तारी के बाद भी तमिलनाडु सरकार में बिना विभाग के मंत्री बालाजी ने न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की पीठ के समक्ष धन शोधन मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के जांच एजेंसी के फैसले की आलोचना की।.मंत्री और उनकी पत्नी की ओर से पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया, ‘‘विजय मदनलाल चौधरी (2022 के फैसले) के मामले में यह माना गया है कि ईडी अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं। इसलिये, यदि अदालत मानती है कि वे पुलिस हिरासत के हकदार हैं तो आपको (शीर्ष अदालत को) यह मानना होगा कि ईडी अधिकारी पुलिस अधिकारी हैं।’’

सिब्बल ने कहा कि अगर ईडी अधिकारी जांच एजेंसी के समक्ष उपलब्ध हुए बगैर भी पुलिस की शक्तियों का आनंद लेते रहेंगे तो यह एक ‘‘गंभीर समस्या’’ है ।

सीमा शुल्क अधिनियम एवं विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम का हवाला देते हुये अधिवक्ता ने कहा कि इन दोनों कानूनों के तहत जांच अधिकारियों को किसी आरोपी की पुलिस हिरासत लेने की अनुमति नहीं है।

सिब्बल ने कहा, ‘‘यह (राज्य) पुलिस है जो आपराध प्रक्रिया संहिता के तहत सीमा शुल्क विभाग के लिए आरोपी को हिरासत में लेती है, न कि सीमा शुल्क के अधिकारी।”

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत, ईडी अधिकारियों के पास हिरासत में पूछताछ की मांग करने की शक्ति नहीं है।

उन्होंने कहा कि पीएमएलए के तहत, आरोपी को विधेय अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है और इसलिए, आरोपी की हिरासत मांगने की कोई शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा साक्ष्य एकत्र होने के बाद शिकायत दर्ज की जाती है।

पीएमएलए प्रावधानों का जिक्र करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “विधायी मंशा स्पष्ट है और एक पुलिस अधिकारी की विशिष्ट शक्तियां कुछ विशेष कानूनों के तहत दूसरों को प्रदान की जाती हैं, लेकिन यहां नहीं। इसलिए, ईडी अधिकारी आगे की कार्रवाई नहीं कर सकते और उन्हें आरोपी को पुलिस के सामने पेश करना होगा।’’

अदालत अब मामले की सुनवाई दो अगस्त को दोपहर 12 बजे करेगी ।

शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2022 में विजय मदनलाल चौधरी के मामले में कहा था कि ईडी अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं।