उच्चतम न्यायालय ने जमानत आदेशों का पालन न करने पर संज्ञान लिया, निर्देश जारी किये

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 20 मार्च (ए) जेल अधिकारियों द्वारा जमानत आदेशों को लागू न करने पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने इनके त्वरित अनुपालन के लिए ‘‘फास्टर सेल’’ के माध्यम से आदेशों तक पहुंच बनाने के वास्ते जेल अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए हैं।

आदेशों के कार्यान्वयन में देरी से बचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से अदालती आदेशों तक पहुंच बनाने के वास्ते भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण द्वारा मार्च 2022 में ‘फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स’ (फास्टर) सॉफ्टवेयर की शुरुआत की गई थी।न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत द्वारा कई जमानत आदेश पारित किए जा रहे हैं, जिन्हें जेल अधिकारियों द्वारा लागू करने की आवश्यकता है। जेल अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे इस अदालत द्वारा पारित आदेशों पर कार्यवाही करें और यह सुनिश्चित करें कि आरोपी को इस अदालत के आदेश के अनुसार संबंधित अदालत में पेश किया जाए।’’

उच्चतम न्यायालय ने वकील एस. सिंह के जरिये दायर एक विविध आवेदन पर आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता लक्ष्मण राम को पांच फरवरी को एक आपराधिक मामले में जमानत दिए जाने के बावजूद जेल अधिकारियों द्वारा रिहा नहीं किया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने राम को सात दिन में निचली अदालत के सामने पेश करने का निर्देश दिया था। उच्चतम न्यायालय के हालांकि 16 फरवरी को आवेदन पर सुनवाई के लिए सहमत होने से पहले, राम को जेल से रिहा कर दिया गया था।

पीठ ने 16 फरवरी को कहा कि निचली अदालत के समक्ष आरोपी को पेश करने में देरी के संबंध में उठाए गए मुद्दे पर विचार करना होगा।

पीठ ने चार मार्च को पारित अपने पिछले आदेश में कहा कि जमानत देने संबंधी आदेशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अदालत ने ‘‘फास्टर सेल’’ नामक एक प्रोटोकॉल बनाया है और इसके कार्यान्वयन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी निर्धारित की गई है।

पीठ ने कहा कि ‘‘फास्टर’’ परियोजना का सबसे प्रासंगिक भाग यह है कि जमानत देने संबंधी सभी आदेश संबंधित अधिकारियों, जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नोडल अधिकारियों, जिला अदालतों और जेल अधीक्षकों को ई-मेल के माध्यम से भेजे जाते हैं।