द्रास (लद्दाख), 25 जुलाई ए) ‘हमेशा चौकन्ने रहें और कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा न करें। चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन।’ थल सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल (सेवानिवृत्त) वेद प्रकाश मलिक ने यह संदेश बर्फीले पहाड़ों पर तैनात सशस्त्र बलों को दिया है।.
जनरल मलिक 1999 में हुई जंग के दौरान सेना प्रमुख थे। उन्होंने विश्वास जताया कि अगर आज युद्ध की स्थिति बनती है तो भारत करगिल के दौरान की तुलना में बेहतर तरीके से तैयार है। .
उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध से उनकी सबसे बड़ी सीख यह है कि दोस्ती का ‘राजनीतिक दिखावा’ करने के बावजूद दुश्मन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
जनरल मलिक के अनुसार यह ‘दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है’ वाली स्थिति है। उन्होंने ‘लाहौर घोषणा पत्र’ को याद किया जिसपर फरवरी 1999 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए थे और दोनों देशों की संसद ने इसकी पुष्टि की थी। इसके तहत दोनों देशों की जिम्मेदारी थी कि वे परमाणु हथियारों की दौड़ और गैर-परंपरागत एवं परंपरागत संघर्षों से बचेंगे।
जनरल मलिक ने यहां एक कार्यक्रम के इतर पीटीआई-भाषा से कहा, “ कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा न करें, भले ही समझौतों पर हस्ताक्षर जैसा दोस्ती का राजनीतिक दिखावा ही क्यों न किया जा रहा हो। करगिल युद्ध से पहले भी ऐसा हुआ था, दोनों देशों ने तब कुछ वक्त पहले एक समझौते (लाहौर घोषणा पत्र) पर हस्ताक्षर किए थे और फिर हम आश्चर्यचकित रह गए थे।”
उन्होंने कहा, “कुछ महीनों के अंदर, उन्होंने मुजाहिदीन या जिहादियों के साथ नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना के साथ हमारे क्षेत्र में घुसपैठ की।”
मलिक ने कहा, ‘बलों को चौकन्ना रहना चाहिए – चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान’ और अगर कोई देश ‘राजनीतिक रूप से मित्रता’ प्रदर्शित कर रहा है तो भी आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है।
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, “ संघर्षविराम हो या न हो, मैंने कई बार संघर्षविराम टूटते देखा है। इसलिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) या एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर सतर्क रहना होगा।
उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध इस बात का सबूत है कि भारतीय सेना के पास दुश्मन को खदेड़ने की क्षमता है, भले ही उनका हमला अचानक हुआ हो।
जनरल मलिक ने कहा, “ अगर आज युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम लड़ने के लिए तैयार हैं। हम कहीं अधिक सुसज्जित हैं और बेहतर तरीके से तैयार हैं। मानव संसाधन आज भी उतने ही अच्छे हैं जितने 24 साल पहले थे, लेकिन आज की तुलना में क्षमताओं में काफी सुधार हुआ है।”
उन्होंने कहा, “ सशस्त्र बल बदल गए हैं। हमारे पास बेहतर उपकरण, निगरानी तंत्र है। हम कोई भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।”
मलिक ने पाकिस्तान के साथ 1999 के करगिल युद्ध के दौरान की स्थिति को याद करते हुए कहा कि चुनौतियां सिर्फ इलाके और मौसम तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उपकरण को लेकर भी थी। उन्होंने कहा, “ लेकिन आज हम बहुत बेहतर हैं।”