पांच राज्यों में 45 प्रतिशत से कम घरों में होता है खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग: सर्वेक्षण

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नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (ए) बिहार और पश्चिम बंगाल समेत देश के पांच राज्यों के 45 प्रतिशत से कम घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल होता है।

ताजा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में यह आंकड़ा सामने आया है।

यह सर्वेक्षण 17 राज्यों और पांच केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया।

आंकड़ों के अनुसार, जिन पांच राज्यों में 45 प्रतिशत से कम घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल होता है, उनमें असम (42.1 प्रतिशत), बिहार (37.8 प्रतिशत), मेघालय (33.7 प्रतिशत), नगालैंड (43 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (40.2 प्रतिशत) शामिल हैं।

इसके अनुसार, जिन राज्यों में 80 प्रतिशत से अधिक घरों में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल होता है, उनमें आंध्र प्रदेश (83.6 फीसदी), गोवा (96.5 फीसदी), मिजोरम (83.8 फीसदी) और तेलंगाना (91.8 फीसदी) शामिल हैं।

बिजली, एलपीजी या प्राकृतिक गैस और बायोगैस को सर्वेक्षण में स्वच्छ ईंधन माना गया है।

सर्वेक्षण के अनुसार, सभी 22 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 2015-16 की तुलना में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल बढ़ा है। इसमें पाया गया कि 16 राज्यों में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसे घरों में रह रही है, जहां स्वच्छता संबंधी सुविधाओं में सुधार हुआ है।

उसके अनुसार, लक्षद्वीप (99.8 प्रतिशत) और केरल (98.7 प्रतिशत) में सर्वाधिक आबादी अच्छी स्वच्छता सुविधओं वाले घरों में रह रही है, जबकि बिहार (49.4 प्रतिशत) और लद्दाख (42.3 प्रतिशत) इस मामले में सबसे पीछे हैं।

इसमें पाया गया कि जिन घरों में सर्वेक्षण किया गया, लगभग उन सभी में आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल होता है।

आंकड़ों के अनुसार, 90 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसे घरों में रह रही है, जहां बिजली आपूर्ति होती है और 70 प्रतिशत से अधिक आबादी के पेयजल स्रोत में सुधार हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पहले चरण में 17 राज्यों और पांच केंद्रशासित प्रदेशों (असम, बिहार, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, केरल, लक्षद्वीप, दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव) के परिणाम जारी किए गए हैं, जबकि दूसरे चरण के परिणाम अगले साल जारी किए जाएंगे, जिनमें शेष राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा।