संजय राउत राकांपा के ‘लाडले’ : बागी विधायक

राष्ट्रीय
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मुंबई, 27 जून (ए) शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने पार्टी नेता संजय राउत को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का ‘लाडला’ करार दिया।

उन्होंने संजय राउत पर हमला बोलते हुए कहा कि 2019 में महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार का गठन जब महज़ औपचारिकता थी तो वह एक “प्रभावशाली राकांपा नेता” के आशीर्वाद से “सक्रिय” हो गए और शिवसेना को खत्म करने के लिए तैयार हैं।

मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में, केसरकर ने संजय राउत पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग विधायकों के कारण चुने जाते हैं, वह अब हर दिन उन्हें गाली दे रहे हैं।

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग से तीसरी बार विधायक केसरकर ने मुख्यमंत्री ठाकरे से अपने विचार पर पुनर्विचार करने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने को कहा।

उन्होंने दावा किया कि राकांपा और कांग्रेस, शिवसेना के बलबूते सत्ता का आनंद ले रहे हैं वहीं पार्टी की नींव को कमज़ोर करने के प्रयास भी कर रहे हैं।

केसरकर ने कहा कि शिवसेना के विधायकों ने हिंदुत्व का विरोध करने वालों के साथ गठबंधन करने का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उनके खिलाफ अपना जीवन बिताया। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर का बार-बार अपमान किया और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के तहत भी यह जारी रहा।

उन्होंने कहा, “हालांकि, हम अपनी पार्टी के नेता के बताए रास्ते का अनुसरण किया।’’

उन्होंने कहा कि 2019 में जब शिवसेना और भाजपा को दूसरे कार्यकाल के लिए राज्य में सरकार बनाने की उम्मीद थी, “संजय राउत एक प्रभावशाली राकांपा नेता के आशीर्वाद से सक्रिय हो गए। जनादेश शिवसेना-भाजपा गठबंधन के लिए था…।’

शिवसेना ने बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा से नाता तोड़ लिया और त्रिपक्षीय एमवीए सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिला लिया।

पत्र का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से राउत से संबंधित है।

केसरकर ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संजय राउत, जिन्हें लोगों ने नहीं चुना है, हमारी पार्टी को खत्म करने के लिए तैयार हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि राउत की सलाह पर शिवसेना चलाई जा रही है और वह भी उनके (केसरकर) जैसे लोगों को अलग-थलग करने की कीमत पर जिन्हें जनता द्वारा कई बार चुना गया है।

उन्होंने कहा, “राकांपा राउत के कंधों पर रखकर बंदूक चलाती है और गोली किसे लगती है? हमारी पार्टी के दुश्मनों को नहीं बल्कि हम जैसे वफादारों को। यह हमें स्वीकार्य नहीं है।”

उन्होंने कहा, “अगर संजय राउत की सलाह पर पूरी पार्टी राकांपा के चरणों में झुकने वाली है तो शिवसेना के पास क्या बचा है? क्या हमें शरद पवार और सोनिया गांधी को खुश करने के लिए अपने आत्मसम्मान को छोड़ देना चाहिए?”