आप’ ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल उठाये

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, दो अप्रैल (ए) आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री की प्रामाणिकता पर रविवार को सवाल उठाया और दावा किया कि अगर जांच की जाती है, तो वो ‘फर्जी’ निकलेगी।.

गुजरात उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के सात साल पुराने उस आदेश को शुक्रवार को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था। अदालत ने केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

आप’ ने 2016 में भी इस मुद्दे को उठाया था और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन आरोपों को खारिज करने के लिए संवाददाता सम्मेलन के दौरान मोदी की डिग्री प्रदर्शित की थी और प्रधानमंत्री मोदी को कथित तौर पर बदनाम करने की कोशिश के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री से माफी की मांग की थी।

राज्यसभा सदस्य एवं ‘आप’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने रविवार को प्रधानमंत्री से देश के सामने सच्चाई का ‘‘खुलासा’’ करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यदि उनकी डिग्री फर्जी निकली, तो वह अपनी लोकसभा सदस्यता गंवा देंगे और निर्वाचन आयोग को गलत जानकारी देने के लिए चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो जाएंगे।

सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की डिग्री का मामला सामने आने के बाद से भाजपा सहमी हुई है। भाजपा के कई मंत्री और प्रवक्ता यह साबित करने में जुट गए हैं कि प्रधानमंत्री की डिग्री फर्जी नहीं है।’’

हालांकि, भाजपा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी पर इसलिए निशाना साध रहे हैं क्योंकि जांच एजेंसियां दिल्ली आबकारी नीति घोटाले सहित ‘आप’ सरकार के भ्रष्टाचार के ‘‘सबूत’’ खोज रही हैं।

एक अलग संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षणिक योग्यता का सवाल नहीं है, बल्कि अगर उन्होंने अपनी योग्यता के बारे में झूठा दावा किया है और फर्जी डिग्री हासिल की है तो यह ‘नैतिक पतन’ है।

भारद्वाज ने कहा, ‘‘क्या एक व्यक्ति, जिसकी नैतिक रूप से इतनी संकीर्ण सोच है और जिसने फर्जी डिग्री हासिल की है, क्या उन्हें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधायक या सांसद होना चाहिए?’’

उन्होंने कहा कि इस सवाल का जवाब नहीं है।

निर्वाचन आयोग के नियमों का जिक्र करते हुए सिंह ने दावा किया, ‘‘अगर जांच की जाती है, तो प्रधानमंत्री की डिग्री फर्जी निकलेगी और उनकी (लोकसभा) सदस्यता रद्द हो जायेगी।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वह न तो सांसद रहेंगे और न ही चुनाव लड़ने के पात्र रहेंगे, क्योंकि प्रधानमंत्री ने बहुत बड़ा धोखा किया है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, यदि आप अपनी डिग्री या संपत्ति के बारे में गलत जानकारी देते हैं, तो आपकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।’’

संवाददाता सम्मेलन में, ‘आप’ नेता ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई मोदी की डिग्री की एक कथित प्रति दिखाई और अपने दावे को साबित करने के लिए दस्तावेज में ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द की कथित गलत वर्तनी को उजागर किया और कहा कि ‘‘यह फर्जी है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की जिस डिग्री को सार्वजनिक किया गया था और जिसे गृह मंत्री अमित शाह ने संवाददाता सम्मेलन में दिखाया था, उससे कई सवाल खड़े होते हैं।’’

सिंह ने प्रधानमंत्री की डिग्री के मुद्दे पर गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को भी हैरान करने वाला और विडंबनापूर्ण करार दिया।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘गुजरात उच्च न्यायालय का फैसला विडंबनापूर्ण और चौंकाने वाला था क्योंकि सीआईसी ने गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी की डिग्री दिखाने का आदेश दिया था और विश्वविद्यालय ने इस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, गुजरात उच्च न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल पर जुर्माना लगाया, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं था। वह अपील दायर करने भी नहीं गए थे।”

केजरीवाल ने इस मामले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अर्जी दाखिल की है।

केजरीवाल ने शनिवार को कहा था, “मेरा आज केवल एक ही सवाल है कि 21वीं सदी में भारत के प्रधानमंत्री को शिक्षित होना चाहिए या नहीं। क्या भारत को शिक्षित प्रधानमंत्री की जरूरत है?” उन्होंने कहा था कि अगर मोदी की डिग्री वैध है तो गुजरात विश्वविद्यालय उसे दिखा क्यों नहीं रहा।

प्रधानमंत्री पर नए सिरे से निशाना साधते हुए केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय के प्रधानमंत्री की अकादमिक योग्यता पर सूचना न देने की दो वजहें हो सकती हैं – यह मोदी का अहंकार हो सकता है या उनकी डिग्री फर्जी है।