इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नौ वर्ष की लड़की की अभिरक्षा महिला को सौंपी

उत्तर प्रदेश प्रयागराज
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प्रयागराज: 30 जनवरी (ए) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नौ वर्षीय एक लड़की की अभिरक्षा उस महिला को सौंप दी, जिसके पहले से ही चार बच्चे होने के कारण उसकी बच्ची को उसे अलग कर दिया गया था।

मीना नामक एक महिला की रिट याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की पीठ ने कहा, “आदिकाल से सभी मानव समाज में लालन-पालन करना और गोद लेना स्थापित व्यवस्थाएं रही हैं।”याचिकाकर्ता ने बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी), फतेहगढ़, फर्रुखाबाद द्वारा 13 दिसंबर, 2021 को पारित आदेश को रद्द करने के लिए यह याचिका दायर की थी। समिति ने उसे बच्चे की अभिरक्षा से वंचित कर दिया गया था।

मामले के तथ्यों के मुताबिक, 28 नवंबर, 2014 को याचिकाकर्ता को अर्जुन उर्फ अंजलि नामक एक किन्नर द्वारा एक नवजात शिशु सौंपा गया था। याचिकाकर्ता के पहले से अपने चार बच्चे हैं जिसमें से तीन शादीशुदा हैं। इस महिला ने किन्नर द्वारा दिए गए बच्चे का सात साल की उम्र तक पालन-पोषण किया। अर्जुन ने 11 अक्टूबर, 2021 को बच्चे का अपहरण कर लिया जिसके बाद महिला ने सीडब्लूसी से इसकी शिकायत की। इस पर कार्रवाई करते हुए 21 नवंबर, 2021 को बच्चे के मुक्त करा लिया गया और परामर्श के बाद उसे 22 दिसंबर, 2021 को महिला को सौंप दिया गया।

इस बीच, 20 अक्टूबर, 2022 को जिला प्रोबेशन अधिकारी ने आगरा के जिला मजिस्ट्रेट को इस बच्चे के संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी जिसके आधार पर याचिकाकर्ता महिला से बच्चा ले लिया गया और तब से वह आगरा में राजकीय गृह में है।

अदालत ने सोमवार को अपने आदेश में कहा, “दुर्भाग्य से जिला प्रोबेशन अधिकारी ने इस तथ्य को ध्यान में रखकर रिपोर्ट बनाई कि याचिकाकर्ता महिला के अपने चार बच्चे हैं, इसलिए वह बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनन अपात्र है।”

अदालत ने कहा, “यद्यपि बच्चे के साथ कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जो किया गया, उसे हम पलटने की स्थिति में नहीं हैं, बच्चे के सर्वोत्तम हित में हम कुछ निर्देशों के साथ इस रिट याचिका को स्वीकार करते हैं।”

अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता एक सप्ताह के भीतर बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन करेगी। बच्चे को तत्काल प्रभाव से महिला के सुपुर्द किया जाए। जिला प्रोबेशन अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में रहते हुए शुरुआत में छह महीने की अवधि तक मासिक आधार पर बच्चे के विकास के संबंध में रिपोर्ट सौंपेंगे और इसके बाद जब भी कानूनन जरूरी हो, वह रिपोर्ट सौंपेंगे।”