सीएम योगी ने डीएम सोनभद्र और गाजियाबाद के एसएसपी को किया सस्पेंड,यह थे आरोप

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ, 31 मार्च (ए)। यूपी के सीएम पद की शपथ लेने के तुरंत बाद एक्शन में आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार को लेकर घिरे अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। गुरुवार को सीएम योगी ने एक आईएएस और एक आईपीएस अफसर को सस्पेंड कर दिया है। दोनों अफसरों पर भ्रटाचार के आरोप लगे हैं। दोनों अफसरों की शिकायतें विधानसभा चुनाव से पहले भी हो चुकी हैं। सीएम योगी की इस कार्रवाई से यूपी के अन्य अफसरों में हड़कंप मचा है। सीएम योगी ने सोनभद्र के डीएम टीके शिबू और गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार को तुरंत सस्पेंड कर दिया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने गुरुवार को बताया कि यूपी सरकार ने सोनभद्र के जिलाधिकारी टी के शिबू और एसएसपी गाजियाबाद पवन कुमार को सस्पेंड कर दिया है। उन्होंने बताया कि दोनों अफसरों पर जनता से जुड़े कार्यों में कथित लापरवाही बरतने और अपराध नियंत्रण नहीं कर पाने के आरोप लगे थे। सोनभद्र डीएम टीके शिबू पर के खिलाफ विधानसभा चुनाव से पहले भी लापरवाही के आरोप लग चुके हैं। 
यूपी में दो अफसरों के सस्पेंशन के बाद अन्य विभाग के अफसरों में हड़कंप मचा है। अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी द्वारा जारी सस्पेंड आदेश में कहा गया है कि शिबू के विरुद्ध खनन, जिला खनिज न्यास समिति तथा अन्य निर्माण कार्यों में जनप्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायतें से संबंधित तथ्य शासन के संज्ञान में आए हैं। इसके अलावा हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी शिबू द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में गंभीर लापरवाही बरतने का भी मामला सामने आया था। इन शिकायतों की, मिर्जापुर मंडल के आयुक्त द्वारा की गयी जांच में शिबू को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के आधार पर शासन ने उन्हें सस्पेंड किया गया है। निलंबन आदेश में कहा गया है कि शिबू के उक्त कृत्य अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियमावली 1968 के नियम 3 का उल्लंघन हैं। अत: इन तथ्य एवं परिस्थितियों पर सम्यक विचार करते हुए राज्यपाल ने शिबू को निलंबित कर उक्त नियमावली के तहत उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के आदेश दिए हैं। इसके तहत शुरू की जाने वाली विभागीय कार्रवाई के लिए वाराणसी मंडल के आयुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। निलंबन की अवधि में शिबू को लखनऊ स्थित कार्यालय, राजस्व परिषद  से संबद्ध रहने और बिना लिखित अनुमति प्राप्त किये राज्य मुख्यालय नहीं छोड़ने को कहा गया।