अवमानना मामला: सुप्रीम कोर्ट ने भगौड़े विजय माल्या के खिलाफ सजा पर फैसला सुरक्षित रखा

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, 10 मार्च (ए)। सुप्रीम कोर्ट ने नौ हजार करोड़ रुपए की बैंक ऋण धोखाधड़ी के आरोपी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में सजा की अवधि पर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में माल्या का प्रतिनिधित्व कर चुके वकील को इस मामले में मंगलवार तक लिखित दलीलें पेश करने की अनुमति दी।
जस्टिस उदय उमेश ललित, एस रवीन्द्र भट और पी एस नरसिम्हा की पीठ ने अवमानना कानून के विभिन्न पहलुओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र जयदीप गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने पूर्व में माल्या का प्रतिनिधित्व कर चुके वकील को इस मामले में मंगलवार तक लिखित दलीलें पेश करने की अनुमति दी। 
हालांकि माल्या के वकील ने कहा कि ब्रिटेन में रह रहे उनके मुवक्किल से कोई निर्देश नहीं मिल सका है इसलिए वह पंगु हैं और अवमानना के मामले में दी जाने वाली सजा की अवधि को लेकर उनका (माल्या का) पक्ष रख पाने में असहाय हैं। पीठ ने कहा, ‘हमें बताया गया है कि (माल्या के खिलाफ) ब्रिटेन में कुछ मुकदमे चल रहे हैं। हमें नहीं पता, कितने मामले लंबित हैं। मुद्दा यह है कि जहां तक हमारे न्यायिक अधिकार क्षेत्र का प्रश्न है तो हम कब तक इस तरह चल पाएंगे।’
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उस वक्त आई, जब जयदीप गुप्ता ने पीठ से कहा कि सजा की अवधि को लेकर उसे (न्यायालय को) एकपक्षीय आदेश सुनाया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इस स्थिति में हैं कि जमानती वारंट से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकती, क्योंकि अवमाननाकर्ता ब्रिटेन में है और प्रत्यर्पण के मामले को छोड़कर और कोई मुकदमा वहां लंबित नहीं है। कोर्ट ने माल्या को दिए गए लंबे वक्त का हवाला देते हुए 10 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय कर दी थी और भगोड़े कारोबारी को व्यक्तिगत तौर पर या अपने वकील के जरिये पेश होने का अंतिम मौका दिया था। 
माल्या को अवमानना के लिए 2017 में दोषी ठहराया गया था और उनकी प्रस्तावित सजा के निर्धारण के लिए मामले को सूचीबद्ध किया जाना था। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए माल्या की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका 2020 में खारिज कर दी थी। न्यायालय ने अदालती आदेशों को धता बताकर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ डॉलर ट्रांसफर करने को लेकर उन्हें अवमानना का दोषी माना था।