नयी दिल्ली: चार फरवरी (ए) दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे आपराधिक रिकॉर्ड वाले 118 उम्मीदवारों में से 24 उम्मीदवारों (20 प्रतिशत) ने अपने रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया है या उनके संबंधित दलों द्वारा इसका स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव में कुल 699 उम्मीदवार मुकाबले में हैं। चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एडीआर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का विस्तृत विश्लेषण जारी किया है। प्रारूप सी7 डेटा पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि कई राजनीतिक दल उम्मीदवारों के चयन के कारणों का खुलासा करने में विफल रहे। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार लंबित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के चयन के लिए कारण का खुलासा करना होता है।
चुनाव लड़ रहे 699 उम्मीदवारों में से 118 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं और उनमें से 71 उम्मीदवारों पर भ्रष्टाचार, दंगा और हिंसक अपराधों सहित गंभीर आपराधिक आरोप हैं।
विधानसभा चुनाव लड़ रहे 94 उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड अनिवार्य रूप से प्रकाशित किए गए, 24 उम्मीदवारों (20%) ने अपने रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया या उनके संबंधित दलों द्वारा इसका औचित्य सिद्ध नहीं किया।
उच्चतम न्यायालय ने अनिवार्य किया था कि राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव में उनकी ‘‘जीतने की क्षमता’’ के अलावा मैदान में उतारने के लिए वैध कारण भी बताएंगे।
हालांकि, अधिकतर पार्टियों ने अस्पष्ट या भ्रमित करने वाले कारण बताए हैं। विश्लेषण में 22 राजनीतिक दलों को शामिल किया गया, जिन्होंने आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे प्रमुख दलों ने अपने अधिकतर उम्मीदवारों के लिए प्रारूप सी7 प्रकाशित किया। हालांकि, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) और भारतीय राष्ट्रवादी पार्टी सहित छोटी पार्टियां इसका पालन करने में विफल रहीं।
कुछ दलों ने कई उम्मीदवारों के लिए एक जैसे कारण या बिना किसी ठोस सबूत के मामलों को ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताया है। एडीआर ने कहा कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी अलग-अलग उम्मीदवारों के जवाबों की नकल की।
सबसे अधिक आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों में अमानतुल्लाह खान (आप) पर 19 मामले, अरविंद केजरीवाल (आप) पर 15 मामले और मोहम्मद ताहिर हुसैन (एआईएमआईएम) पर 38 गंभीर आरोपों सहित 11 मामले हैं।
राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों के राजनीतिक अनुभव, लोकप्रियता का हवाला देते हुए उनके चयन को उचित ठहराया और दावा किया कि उनके खिलाफ मामले राजनीतिक प्रतिशोध के कारण दर्ज किए गए थे। हालांकि, एडीआर ने कहा कि इन स्पष्टीकरणों में अक्सर इस ठोस तर्क का अभाव होता है कि बेदाग छवि वाले उम्मीदवारों पर विचार क्यों नहीं किया गया।
एडीआर की रिपोर्ट बाहुबल, धनबल और राजनीति के बीच मजबूत गठजोड़ को भी रेखांकित करती है। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 118 उम्मीदवारों में से 84 (71%) करोड़पति हैं और आपराधिक मामलों के बावजूद सबसे अधिक घोषित संपत्ति वाले शीर्ष तीन उम्मीदवारों में 248 करोड़ रुपये के साथ मनजिंदर सिंह सिरसा (भाजपा), 130 करोड़ रुपये के साथ गुरचरण सिंह (कांग्रेस) और 115 करोड़ रुपये के साथ परवेश साहिब सिंह (भाजपा) शामिल हैं।
दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव पांच फरवरी को होंगे और मतगणना आठ फरवरी को होगी।