सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में मरीजों से वसूले जाने वाले शुल्क को लेकर याचिका पर केंद्र का जवाब मांगा

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नयी दिल्ली: 29 अप्रैल (ए) उच्चतम न्यायालय ने अस्पतालों में मरीजों से वसूले जाने वाले शुल्क के निर्धारण का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा।

शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें कहा गया कि क्लिनिकल प्रतिष्ठान (केंद्र सरकार) नियमावली 2012 के नियम 9 को लागू नहीं किया जाना चाहिए। ये नियम क्लिनिकल प्रतिष्ठानों के पंजीकरण और संचालन शर्तों से संबंधित है।

नियम 9 में प्रावधान है कि प्रत्येक क्लिनिकल प्रतिष्ठान राज्य सरकारों के परामर्श से समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क की सीमा के भीतर प्रत्येक प्रकार के चिकित्सा उपचार और सेवाओं के लिए शुल्क वसूल करेगा।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि शुल्क कैसे तय किया जा सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘यह सब बाजार की ताकतों पर निर्भर करता है। कोई विशेष डॉक्टर 10,000 रुपये ले सकता है, अन्य 1,000 रुपये ले सकता है।’’

पीठ ने यह भी कहा गया है कि इससे गोपनीय तरीके से शुल्क वसूली को बढ़ावा मिल सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले में नोटिस जारी करेंगे।’’

पीठ ने कहा कि याचिका पर एक अन्य लंबित याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी, जिसमें 2012 की नियमावली के नियम 9 के अनुसार मरीजों से लिये जाने वाले शुल्क निर्धारित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

मामले पर अब 10 सितंबर को सुनवाई होगी।

इस साल फरवरी में याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि केंद्र ने केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में सूचीबद्ध अस्पतालों पर लागू शुल्क को अधिसूचित किया था और जब तक कोई समाधान नहीं मिल जाता, तब तक सरकार उक्त शुल्क को अंतरिम उपाय के रूप में अधिसूचित कर सकती है।