सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के आदेश को किया खारिज

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, एक नवंबर (ए)।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में काली पूजा, दिवाली, छठ पूजा, जगाधत्री पूजा, गुरु नानक जयंती, क्रिसमस और नए साल के पूर्व संध्या पर होने वाले जश्न के दौरान पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की अवकाश पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उन पटाखों के उपयोग को विनियमित करने का आदेश पारित कर दिया है जिनमें प्रदूषणकारी सामग्री का उपयोग होता है। पीठ ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं हो सकता है।
पीठ ने टिप्पणी की, ‘अलग-अलग तरह के लोग हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूर्ण प्रतिबंध हो। हमें बेरियम साल्ट जैसे प्रतिबंधित पदार्थ के उपयोग के खिलाफ तंत्र को मजबूत करना होगा। पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं हो सकता।’ सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018, जुलाई और अक्टूबर 2021 के आदेश में हरे पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति देते हुए पटाखों में बेरियम सॉल्ट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस आधार पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था कि कार्यपालिका के लिए उल्लंघन करने वालों की पहचान करना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा क्योंकि हरित पटाखों को अलग करने के लिए कोई तंत्र नहीं है और कानून को लागू करने वाली एजेंसियों के लिए असंभव कार्य है।
पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत का आदेश सभी राज्यों पर समान रूप से लागू होता है और पश्चिम बंगाल अपवाद नहीं हो सकता। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘यह कोई नया मुद्दा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही आदेश पारित कर चुका है। इसे समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।’ पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने पीठ के समक्ष कहा कि राज्य हरित पटाखों के उपयोग के बारे में 2018 में शीर्ष अदालत के आदेश का ईमानदारी से पालन कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पुलिस स्थिति की निगरानी कर रही है और वास्तव में वर्ष 2018 में 24 प्राथमिकी दर्ज की गई थी और 46 गिरफ्तारियां हुई थी, 2019 में 22 प्राथमिकी और 26 गिरफ्तारियां, 2020 में 190 प्राथमिकी और 243 गिरफ्तारियां हुई थी और इस वर्ष सात प्राथमिकी और 10 गिरफ्तारियां हो चुकी है। वहीं, पटाखों के निर्माताओं और डीलरों के एक संघ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ भटनागर ने कहा कि वे 2018, 2020 और इस साल 29 अक्टूबर को पारित शीर्ष अदालत के आदेश का पालन कर रहे हैं जिसमें कहा गया था कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।
शीर्ष अदालत ने सभी के बयानों को रिकॉर्ड पर लिया और हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर, 2021 को राज्य में कोविड महामारी की स्थिति और बिगड़ती वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पश्चिम बंगाल में सभी प्रकार के पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।