देश में उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ नहीं बल्कि ‘संविधान’ है : मायावती

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ, तीन फरवरी (ए) रामचरितमानस प्रकरण में समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता मायावती ने शुक्रवार को कहा कि देश में कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ ‘रामचरितमानस या मनुस्मृति’ नहीं बल्कि ‘भारतीय संविधान’ है।.

मायावती ने कहा कि संविधान में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने इन वंचित तबकों को ‘शूद्र’ नहीं बल्कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की संज्ञा दी है और सपा इन्हें ‘शूद्र’ कहकर उनका अपमान नहीं करे और न संविधान की अवहेलना करे।.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में रामचरितमानस का विवाद गहराता जा रहा है। अब बसपा मायावती ने कहा कि है कि रामचरित मानस सिर्फ एक ग्रंथ नहीं है। ये एक पूरा संविधान है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में रामचरितमानस पर दिए गए बयान के बाद से विवाद लगातार गहराता जा रहा है। अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने रामचरितमानस प्रकरण को लेकर हमला बोला है। मायावती भी अब इस मुद्दे पर प्रहार करने से पीछे नहीं हटी है। उन्होंने कहा कि देश में कमजोर और उपेक्षित वर्गों के लिए रामचरित मानस व मनुस्मृति ग्रंथ नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं।
मायावती ने समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झाँककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था। 
उन्होंने कहा कि यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।
बता दें कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने शूद्र विधानसभा में सीएम योगी से सवाल पूछने की बात कही थी। अखिलेश यादव ने कहा था कि हमारे सीएम एक ऐसी संस्था से आए हैं जिसका एक इतिहास रहा है। रामचरितमानस और शूद्र के बारे में वो सदन में बताएं। ये धार्मिक लोगों का सवाल है। उन्होंने कहा था कि हम तो भगवान विष्णु के सभी अवतारों को मानते है। जिस शब्द को लेकर बवाल मचा है उसे लेकर सभी को बोलना चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी जवाब आया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जवाब उन्हें देना चाहिए जो जवाब को समझ सकें। जो अराजकता पैदा करना चाहते हैं उन्हें जवाब देना संभव नहीं है।