मौलिक अधिकारों से जुड़ी पीआईएल वापस लेने की अनुमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा:‘हम राक्षस नहीं हैं’

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: 25 जनवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने एक विवादित जनहित याचिका को वापस लेने की याचिकाकर्ता को अनुमति प्रदान करते हुए बुधवार को कहा कि वे (न्यायाधीश) राक्षस नहीं हैं।

याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 20 और 22 के तहत नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों को ‘विधिक शक्ति से परे’ घोषित करने का न्यायालय ने अनुरोध किया था।जनहित याचिका तमिलनाडु निवासी पी. के. सुब्रमण्यम ने अधिवक्ता नरेश कुमार के जरिये दायर की थी और शीर्ष अदालत ने बिना सोचे-समझे ऐसी याचिकाओं पर एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) द्वारा हस्ताक्षर किये जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।

यद्यपि अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 22 कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ सुरक्षा से संबंधित है। दोनों संविधान के भाग-तीन में शामिल हैं, जो मौलिक अधिकारों से संबंधित है।

केवल एओआर ही सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए अधिकृत होता है।

शीर्ष अदालत ने 31 अक्टूबर, 2023 को याचिका के तथ्यों की पड़ताल किये बिना उस पर हस्ताक्षर करने की प्रथा की निंदा करते हुए कहा था कि ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ को केवल हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता।

न्यायाधीश संजय किशन कौल (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस वक्त अदालत की सहायता के लिए एक न्याय मित्र भी नियुक्त किया था और एओआर प्रणाली में सुधार के लिए सुझाव मांगे थे।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष आदिश सी. अग्रवाल और एससीबीए के पूर्व प्रमुख विकास सिंह सहित कई शीर्ष अधिवक्ता इस मामले में पेश हुए थे।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, ‘‘हम राक्षस नहीं हैं। हम आपको मामला वापस लेने की अनुमति देंगे।’’

हालांकि, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि एओआर को उस जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए, जो उन्हें निभानी है।

पीठ ने मामला बंद करते हुए कहा, ‘‘आपके (एओआर के) ऊपर एक बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। ये नहीं कुछ हाथ में आया फाइल कर दो।’’न्यायालय ने पहले कहा था कि एओआर केवल ‘हस्ताक्षर करने वाला प्राधिकारी’ नहीं हो सकता और शीर्ष अदालत में उनके माध्यम से जो दाखिल किया जाता है, उसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।