भाजपा ने जताया सरकार पर अविश्वास, चर्चा जारी

छत्तीसगढ़ रायपुर
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रायपुर, 27 जुलाई (ए) छत्तीसगढ़​ विधानसभा में राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ ​अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। सदन में भाजपा ने राज्य सरकार पर 84 बिंदुओं पर आरोप लगाया है और कहा है कि यह सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है।

विधानसभा में बुधवार को भाजपा द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस जारी है, तथा देर शाम तक चलने की संभावना है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के छह दिवसीय मानसून सत्र के अंतिम दिन भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सत्ताधारी दल कांग्रेस पर कई मोर्चों पर विफल होने तथा किसानों, युवाओं और सरकारी कर्मचारियों को धोखा देने का आरोप लगाया।

इस दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने सदन में आरोप पत्र पेश किया।

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार के एक मंत्री ने मुख्यमंत्री पर अविश्वास व्यक्त किया है और प्रशासन को भी सरकार पर भरोसा नहीं है।

अग्रवाल टी एस सिंहदेव के बारे में कहा, ‘मुख्यमंत्री ने उस मंत्री को निष्कासित क्यों नहीं किया? मुख्यमंत्री की हिम्मत नहीं है। यहां तक ​​कि मंत्री में भी हिम्मत नहीं है और वह कैबिनेट में बने रहना चाहते हैं।’

सिंहदेव ने इस महीने की 16 तारीख को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उनके पास चार अन्य विभाग अब भी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजे त्यागपत्र में सिंहदेव ने कहा था, ‘ जन-घोषणा पत्र के विचारधारा के अनुरूप महत्वपूर्ण विषयों को दृष्टिगत रखते हुए, मेरा यह मत है कि विभाग के सभी लक्ष्यों को समपर्ण भाव से पूर्ण करने में वर्तमान परिस्थितियों में स्वयं को असमर्थ पा रहा हूं। अतएव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भार से मैं अपने आप को पृथक कर रहा हूं।’

भाजपा नेता अग्रवाल ने मंत्री टीएस सिंहदेव द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के संबंध में कहा कि राज्य सरकार ने गरीबों के 18 लाख घर छीन लिए, जिनके वे हकदार थे, क्योंकि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए राज्य के हिस्से का धन उपलब्ध नहीं कराया था।

पूर्व मंत्री ने कहा कि नियम के खिलाफ पंचायत विभाग के काम को मंजूरी देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था।

अग्रवाल ने सवाल किया कि एक मंत्री द्वारा अनुमोदित कार्यों को अधिकारी कैसे मंजूरी दे सकते हैं। अग्रवाल ने इस दौरान सरकार पर कई मोर्चों पर विफल होने का आरोप लगाया।