ट्रांसजेंडर की अलग पहचान स्वीकार करना ही पर्याप्त नहीं, समाज की मुख्यधारा में लाना होगा: न्यायाधिकरण

राष्ट्रीय
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मुंबई, 29 नवंबर (ए) महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने बुधवार को कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार और शिक्षा में ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षण का निर्देश नहीं दे सकता, लेकिन कहा कि सरकार को समुदाय को समाज के मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में और कदम उठाने चाहिए।.

न्यायाधिकरण ने यह आदेश तीन ट्रांसजेंडर द्वारा दायर आवेदनों पर पारित किया जिनमें से दो ने पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए और अन्य ने ‘तलाठी’ (राजस्व अधिकारी) के लिए आवेदन किया था।.आवेदकों ने महाराष्ट्र सरकार को ऑनलाइन आवेदन पत्र में ‘तीसरे लिंग’ का विकल्प जोड़ने और सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

न्यायाधिकरण ने कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार को आवेदकों को आरक्षण देने का निर्देश नहीं दे सकता, लेकिन कहा कि उन्हें कुछ रियायतें दी जा सकती हैं।

हालांकि, न्यायाधिकरण अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मृदुला भाटकर और सदस्य मेधा गाडगिल द्वारा पारित आदेश में कहा गया है कि समाज में ट्रांसजेंडर के अस्तित्व की केवल पहचान और स्वीकृति पर्याप्त समावेशन नहीं है, बल्कि सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्रों में उनकी नियुक्तियों को सुविधाजनक बनाना सही अर्थ में समावेशन होगा।न्यायाधिकरण ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की अलग पहचान को स्वीकार करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें सार्वजनिक रोजगार में अवसर भी दिए जाने की जरूरत है।

उसने कहा, ‘‘महाराष्ट्र राज्य अपनी सोच और संस्कृति में बहुत प्रगतिशील साबित हुआ है। इसलिए, सरकार से यह वांछनीय है कि इन ट्रांसजेंडर आवेदकों को सरकारी क्षेत्र में नौकरी पाने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं।”

उसने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत लिंग के आधार पर भेदभाव निषिद्ध है।

उसने कहा कि केवल तीसरे लिंग को मान्यता देकर, सरकार ने समुदाय को पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं कराए हैं और उनकी प्रभावी भागीदारी और मुख्यधारा में सार्थक समावेशन के लिए और अधिक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में महाराष्ट्र सरकार को आवेदकों को ‘कट-ऑफ अंक तक पहुंचने के लिए आवश्यक अनुग्रह अंक’ देने और संबंधित पदों के लिए कुल अंकों के 50 प्रतिशत तक पहुंचने वाले आवेदकों पर विचार करने का निर्देश दिया।

न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि यदि किसी आवेदक की आयु निर्धारित आयु से अधिक है तो उन्हें 45 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर आयु में छूट दी जाए।

आवेदनकर्ताओं के वकील क्रांति एलसी ने कहा था कि तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों ने ट्रांसजेंडर को आरक्षण का लाभ दिया है।

महाराष्ट्र सरकार ने न्यायाधिकरण को सूचित किया था कि ट्रांसजेंडर समुदाय को आरक्षण देना संभव नहीं होगा।

नवंबर 2022 में, न्यायाधिकरण और बाद में बम्बई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ऑनलाइन आवेदन पत्रों में ‘थर्ड जेंडर’ श्रेणी का विकल्प प्रदान करने का निर्देश दिया था।