लंबित मामलों के बारे में साक्षात्कार देने का किसी न्यायाधीश को अधिकार नहीं-न्यायालय, मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (ए) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक से चार दिन के भीतर इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा कि क्या न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में स्कूल भर्ती घोटाले से संबंधित लंबित मामले में एक समाचार चैनल को साक्षात्कार दिया था।.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने इस मामले को लेकर एक समाचार चैनल को दिए गए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के कथित साक्षात्कार का कड़ा संज्ञान लिया और कहा, ‘‘लंबित मामलों के बारे में साक्षात्कार देने का किसी न्यायाधीश को अधिकार नहीं है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता (तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी) ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा टीवी चैनल एबीपी आनंदा को दिए गए साक्षात्कार की अनूदित प्रतिलिपि (ट्रांसक्रिप्ट) जमा की है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक को निर्देश दिया जाता है कि वह स्पष्ट करें कि क्या न्यायाधीश का उक्त चैनल ने साक्षात्कार लिया है। महापंजीयक को निर्देश दिया जाता है कि वह बृहस्पतिवार को या उससे पहले इस अदालत में हलफनामा दाखिल करें। हम मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध करेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका यह आदेश कथित घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही जांच के आड़े नहीं आएगा।

केंद्रीय जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने अदालत से कहा कि इससे मामले की जांच बाधित हो सकती है, जिसपर पीठ ने कहा कि न्यायाधीश को एकल पीठ के समक्ष लंबित मामले पर साक्षात्कार नहीं देना चाहिए।

बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए साक्षात्कार की अनूदित प्रतिलिपि का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस सांसद और पार्टी महासचिव के खिलाफ बोला है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘मैं बड़े ही सम्मान और विनम्रता से कहना चाहता हूं कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।’’

जब अदालत से कहा गया कि कथित साक्षात्कार सोशल मीडिया पर उपलब्ध है तो पीठ ने कहा कि वह चाहती है कि महापंजीयक मामले में हलफनामा दाखिल करें और वह इस समय मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं कर रही।

प्रधान न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी की, ‘‘मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि लंबित मामले में किसी न्यायाधीश को साक्षात्कार देने का अधिकार नहीं है। अगर उन्होंने याचिकाकर्ता के बारे में बोला है, तो उन्हें सुनवाई में हिस्सा नहीं लेना चाहिये। सवाल यह है कि क्या किसी राजनीतिक हस्ती के बारे में इस तरह का बयान देने वाले न्यायाधीश को सुनवाई में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। कुछ प्रक्रियाएं होनी चाहिये।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीश को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लेना चाहिए और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए नयी पीठ गठित करने के लिए रास्ता साफ करना चाहिए।

इससे पहले, 17 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने अभिषेक बनर्जी को बड़ी राहत प्रदान करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के 13 अप्रैल के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें उसने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अभिषेक और शिक्षक भर्ती घोटाले के एक आरोपी कुंतल घोष से पूछताछ करने का आदेश दिया था।

इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने पश्चिम बंगाल पुलिस को आदेश दिया था कि वह मामले की जांच कर रहे सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करे।

सिंघवी द्वारा उल्लेख किए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने तृणमूल नेता की याचिका पर तत्काल सुनवाई की थी।शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘याचिका को 24 अप्रैल 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। उक्त तारीख तक याचिकाकर्ता (बनर्जी) के खिलाफ 13 अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा दिए गए सभी निर्देश पर रोक रहेगी।’