मणिपुर वीडियो: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को कार्रवाई का निर्देश दिया

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 20 जुलाई (ए) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने के वीडियो से वह ‘बहुत व्यथित’ है और हिंसा के लिए महिलाओं को साधन की तरह इस्तेमाल करना ‘किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य’ है।.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार को फौरन उपचारात्मक, पुनर्वास संबंधी और निवारक कार्रवाई का निर्देश दिया।.पीठ ने कहा कि तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना पूरी तरह अस्वीकार्य है और ये दृश्य संविधान और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन दर्शाते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘मणिपुर में दो महिलाओं को जिस तरीके से घुमाया गया है, उसके कल आये वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं।’’

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि साम्प्रदायिक रूप से तनावपूर्ण इलाके में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘‘बहुत व्यथित’’ करने वाला है तथा यह ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘मणिपुर में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटना से संबंधित वीडियो कल सामने आया है और अदालत इससे बहुत व्यथित है। मीडिया में जो कुछ दिखाया जा रहा है वह संवैधानिक मानवाधिकारों का उल्लंघन और अतिक्रमण है।’’

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को अपराधियों को जवाबदेह ठहराने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

आदेश में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार को तत्काल- उपचारात्मक, पुनर्वास संबंधी और निवारक कदम उठाने तथा अगली तारीख से पहले हलफनामा के माध्यम से शीर्ष अदालत को की गयी कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया जाता है।’

आदेश में यह भी कहा गया है, ‘शपथ पत्र केंद्रीय गृह सचिव और मणिपुर राज्य के मुख्य सचिव द्वारा दायर किया जाएगा।’

उन्होंने कहा कि अदालत इस तथ्य से अवगत है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

जैसे ही पीठ मामलों पर सुनवाई के लिए बैठी तो सीजेआई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अदालत आने के लिए कहा था।

सीजेआई ने दोनों विधि अधिकारियों से कहा, ‘‘दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए मई से लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गयी और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है कि यह दोबारा न हो क्योंकि कौन जानता है कि यह अकेली घटना हो, अकेली घटना न हो, यह कोई प्रवृत्ति हो।’’

उन्होंने कहा कि इतिहास में तथा दुनियाभर में इन हालातों में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन ‘‘किसी संवैधानिक लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है।’’

सीजेआई के विचारों से सहमति जताते हुए मेहता ने कहा कि ऐसी घटनाएं पूरी तरह ‘‘अस्वीकार्य’’ है।

मेहता ने कहा कि सरकार भी इस घटना को लेकर बहुत चिंतित है और वह अदालत को इस संबंध में उठाए कदमों की जानकारी देंगे।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय उन दृश्यों से ‘‘बेहद व्यथित’’ हैं जो मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा तथा यौन उत्पीड़न के बारे में मीडिया में सामने आए हैं।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा यह मानना है कि अदालत को उन कदमों के बारे में बताया जाए जो दोषियों को पकड़ने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उठाए हैं कि मणिपुर के तनावपूर्ण हालात में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।’’

पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है।

चार मई का यह वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि विरोधी पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में हिंसा पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहले कहा था कि उसका राज्य में तनाव बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और उसने अदालत की कार्यवाही के दौरान दोनों जातीय समूहों से संयम बरतने के लिए कहा था।