मुस्लिम लड़कियों की भी शादी की उम्र अन्य के समान हो,याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

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नई दिल्ली,09 दिसम्बर (ए)। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए शादी की एक समान उम्र की मांग वाली राष्ट्रीय महिला आयोग की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि कम उम्र के मुस्लिम लड़कियों की शादी को वैध ठहराया जाता है, जिससे पाक्सो एक्ट का उल्लघंन होता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने धर्म के आधार पर हाई कोर्ट द्वारा मुस्लिम लड़कियों की कम उम्र में शादी को वैध ठहराए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका पर पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। पीठ ने इस मामले में केंद्र को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम लड़कियों की 15 साल की उम्र में ही विवाह किया जा सकता है। हालांकि, कानून के अनुसार, देश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल तय है। इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी करना अपराध की श्रेणी में आता है। जबकि, मुस्लिम लड़कियों की शादी 15 वर्ष में ही करना वैध माना जाता है। इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ कर रही थी। इस मामले में अब अगली सुनवाई 8 जनवरी 2023 को होगी, जब केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करना है।