मणिपुर मुद्दा राष्ट्र के लिए सुरक्षा समस्या पैदा कर सकता है; शीघ्र समाधान की जरूरत : विपक्षी गठबंधन

राष्ट्रीय
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इंफाल, 30 जुलाई (ए) विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने रविवार को कहा कि अगर मणिपुर में जातीय संघर्ष का जल्द समाधान नहीं किया गया तो यह पूरे देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा कर सकता है।.

शनिवार से दो दिनों के लिए मणिपुर का दौरा करने वाले गैर- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘‘चुप्पी’’ के लिए उनकी आलोचना करते हुए कहा कि इससे पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के प्रति उनकी ‘‘उदासीनता’’ पता चलती है।.

प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष को अगर जल्द हल नहीं किया जाता है, तो इससे देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।’’

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के 21 सांसदों ने मणिपुर में शांति तथा सौहार्द लाने के लिए प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और इसे राज्यपाल अनसुइया उइके को सौंपा।

ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘पिछले कुछ दिनों में लगातार गोलीबारी और मकानों में आगजनी की खबरों से इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि सरकारी तंत्र पिछले तकरीबन तीन महीने से स्थिति पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह नाकाम रहा है।’’

विपक्षी दलों के सांसदों ने कहा कि पिछले तीन महीने से लगातार इंटरनेट पाबंदी निराधार अफवाहों को बल दे रही है जिससे समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ रहा है।

उन्होंने ज्ञापन में कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री की चुप्पी मणिपुर में हिंसा के प्रति उनकी घोर उदासीनता दिखाती है।’’ विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि समुदायों में गुस्सा तथा अलगाव की भावना है तथा इसे बिना किसी विलंब के निपटाया जाना चाहिए।

सांसदों ने राज्यपाल से कहा, ‘‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि सभी प्रभावी कदम उठाते हुए शांति एवं सौहार्द बहाल किया जाए तथा इन कदमों में न्याय की आधारशिला होनी चाहिए। शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के लिए प्रभावी लोगों का पुनर्वास सबसे जरूरी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपसे केंद्र सरकार को पिछले 89 दिनों से मणिपुर में कानून एवं व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाने से अवगत कराने का भी अनुरोध किया जाता है ताकि वे शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मणिपुर के अनिश्चित हालात में हस्तक्षेप कर सकें।’’

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि दोनों समुदायों के लोगों की जान और संपत्तियों की सुरक्षा करने में ‘‘केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारों की नाकामी’’, 140 से अधिक मौतों (आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार 160 से अधिक मौत), 500 से अधिक घायल, 5,000 से अधिक मकान जलाए जाने और 60,000 से अधिक लोगों के आंतरिक विस्थापन के आंकड़ों से दिखती है।

बैठक के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘राज्यपाल ने हमारी बातें सुनीं और उन पर सहमति जताई। उन्होंने हिंसा पर दुख जताया ।’’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कहा, ‘‘राज्यपाल ने कहा कि मेइती तथा कुकी समुदायों के बीच अविश्वास खत्म करने के लिए सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल को उनसे बातचीत करने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए।’’

उन्होंने बताया कि सांसदों ने मणिपुर में जो स्थिति देखी, उसके बारे में संसद में एक रिपोर्ट पेश करेंगे और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।

चौधरी ने कहा, ‘‘हम मणिपुर में राज्य तथा केंद्र सरकार की चूक पर संसद में बोलेंगे। हम केंद्र सरकार से संसद में इस मुद्दे पर चर्चा कराने की अपील करते हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।

दो दिवसीय दौरे के अपने अनुभव के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि ऐसे हालात बन गए हैं कि घाटी के लोग (मेइती) पर्वतीय क्षेत्र में नहीं जा सकते जहां कुकी रहते हैं और पर्वतीय क्षेत्र के लोग घाटी में नहीं आ सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘राशन, चारा, दूध, बच्चों के भोजन और अन्य आवश्यक सामान की भारी किल्लत है। छात्रों की शिक्षा पर भी असर पड़ा है। हमने राज्यपाल को ये सभी बातें बताई हैं जिन्होंने कहा कि इन मुद्दों को मिलकर हल किया जाना चाहिए।’’

विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को मणिपुर पहुंचा था तथा हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की।

दो-दिवसीय दौरे के पहले दिन प्रतिनिधिमंडल इंफाल के अलावा बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और चुराचांदपुर में कई राहत शिविरों में गया तथा जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों से मुलाकात की।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्य राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद रविवार दोपहर दिल्ली के लिए रवाना हो गये।

मणिपुर के दौरे के बारे में सांसदों ने ज्ञापन में कहा कि उन्होंने राहत शिविरों का दौरा किया तथा वहां शरण लिए पीड़ितों से बातचीत की।

उन्होंने कहा, ‘‘हम संघर्ष शुरू होने के बाद से ही दोनों पक्षों की अप्रत्याशित हिंसा से पीड़ित लोगों की परेशानी, अनिश्चितता, पीड़ा तथा दुख की कहानियां सुनकर निश्चित तौर पर बहुत स्तब्ध तथा दुखी हैं।’’

ज्ञापन में कहा गया कि राहत शिविर में स्थिति बहुत दयनीय है और बच्चों की प्राथमिकता के आधार पर विशेष देखभाल करने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया, ‘‘विभिन्न वर्गों के छात्रों का भविष्य अधर में है जो कि राज्य तथा केंद्र सरकार की प्राथमिकता होना चाहिए।’’

बाद में, ज्ञापन की एक प्रति ट्विटर पर साझा करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की और दावा किया कि मणिपुर के लोगों के गुस्से, चिंता, पीड़ा तथा दुख से उन्हें ‘‘कोई फर्क नहीं पड़ता है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘वह अपनी आवाज सुनने और करोड़ों भारतीयों को अपनी ‘मन की बात’ सुनाने के लिए विवश करने में व्यस्त हैं जबकि टीम इंडिया के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर की राज्यपाल के साथ ‘मणिपुर की बात’ कर रहा है।’’

विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल में अधीर रंजन चौधरी और लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पी पी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके से टी. तिरुमावलावन और डी रविकुमार शामिल रहे।

जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम, सपा के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, आम आदमी पार्टी (आप) के सुशील गुप्ता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सांवत भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस की फूलो देवी नेताम और के सुरेश भी शामिल थे।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।