मप्र में प्रवासी मजदूरों को मतदान के लिए बुलाने को शुरू किया गया विशेष कॉल सेंटर

इंदौर मध्य प्रदेश
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इंदौर, 29 अक्टूबर (ए) रोजी-रोटी के लिए अपने गृह क्षेत्र से दूर दूसरे प्रांत में रहने को मजबूर किरला डोडवा (40) गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के एक जिनिंग कारखाने में कपास चुनने का काम करते हैं। यह प्रवासी श्रमिक पश्चिमी मध्यप्रदेश के उन हजारों आदिवासियों में शामिल है जिन्हें विधानसभा चुनावों के तहत 17 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए प्रेरित करते हुए उनके गृह क्षेत्र में बुलाना निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती है।.

अधिकारियों ने बताया कि इन प्रवासी मजदूरों को मतदान के लिए बुलावा भेजने के लिए सूबे के अलीराजपुर में रविवार से विशेष कॉल सेंटर शुरू किया गया है।.आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिला रोजगार के लिए पलायन की विभीषिका का बड़ा गवाह है। जिले में विधानसभा की दो सीटें हैं-अलीराजपुर और जोबट। सरकारी अनुमान के मुताबिक दोनों सीटों के कुल 5.66 लाख मतदाताओं में से करीब 85,000 लोग रोजगार के लिए गुजरात और महाराष्ट्र सरीखे पड़ोसी राज्यों में हैं।

अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान जोबट विधानसभा क्षेत्र में केवल 52.84 प्रतिशत मतदान हुआ था जो राज्य की सभी 230 सीटों में सबसे कम था। अलीराजपुर के जिलाधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी अभय अरविंद बेडेकर ने पीटीआई- को बताया, ‘‘अलीराजपुर जिले के करीब 85,000 प्रवासी श्रमिकों को मतदान के लिए उनके गृह क्षेत्र में बुलाने के लिए हमने 20 कर्मियों का कॉल सेंटर शुरू किया है। हमने इनमें से ज्यादातर श्रमिकों के मोबाइल नंबर पहले ही जुटा लिए हैं।’’ उन्होंने बताया कि गुजरात और महाराष्ट्र सरीखे पड़ोसी राज्यों के नियोक्ताओं से कहा जा रहा है कि वे निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक इन श्रमिकों को मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश दें। बेडेकर ने बताया कि अलीराजपुर का प्रशासन अपने अधिकारियों के एक दल को गुजरात भेजने पर भी विचार कर रहा है जो मतदान को बढ़ावा दिए जाने को लेकर संबंधित नियोक्ताओं से मुलाकात करेगा।

अधिकारियों ने बताया कि आदिवासी समुदाय के प्रवासी मजदूरों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए भीली बोली में विशेष पोस्टर और गीत भी तैयार किए गए हैं। ऐसे ही एक गीत के बोल हैं, मामार आवो, मामार आवो रे, वुटू नाखणे मामार आवो रे (जल्दी आओ, जल्दी आओ रे, वोट डालने जल्दी आओ रे)’’ आदिवासी संस्कृति के जानकार अनिल तंवर ने यह गीत लिखा है। उन्होंने बताया कि उचित रोजगार के अभाव में अलीराजपुर के साथ ही धार, झाबुआ, खरगोन और बड़वानी जिलों के आदिवासी भी बड़ी तादाद में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य राज्यों का रुख करते हैं। मध्यप्रदेश से गुजरात गए प्रवासी आदिवासी श्रमिक किरला डोडवा ने फोन पर बताया, अलीराजपुर जिले के मेरे गांव में मेरे पास खेती की जमीन नहीं है। हमें गुजरात के कारखानों में मध्यप्रदेश के मुकाबले ज्यादा मजदूरी मिलती है।

इसलिए मुझे अपने परिवार के साथ गुजरात आना पड़ा। डोडवा दो लड़कों और एक लड़की के पिता हैं। वह ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के बारे में जानकारी है, तो उन्होंने ना में जवाब दिया। हालांकि, उन्हें जब बताया गया कि 17 नवंबर को इन चुनावों का मतदान होना है, तो उन्होंने कहा कि वह काम से तीन-चार दिन की छुट्टी लेकर वोट डालने अपने गांव आएंगे, वरना गांव का सरपंच उन्हें उलाहना देगा कि वह बड़े चुनावों में भी वोट डालने नहीं आते।